01-Screw स्क्रू भाग-01
Chapter 01- Screw स्क्रू
Screw स्क्रू- फिटर थ्योरी का प्रथम अध्याय स्क्रू है इसमें हम स्क्रू और स्क्रू के प्रकार के बारे में जानेगे।
- किसी पार्ट्स में अस्थायी जोड़ लगाने के लिए स्क्रू का प्रयोग किया जाता हैं।
- स्क्रू और बोल्ट एक ही जैसे होते हैं, लेकिन अंतर ये हैं कि बोल्ट के शैंक पर, स्क्रू की शैंक के अपेक्षा कम थ्रेड कटी होती हैं।
- स्क्रू को दो भागो में बाटा गया गया हैं- (i) हैड स्क्रू (ii) मशीन स्क्रू
- मशीन स्क्रू, हैड स्क्रू से छोटे होते हैं।
- जब दो पार्ट्स को जोड़ते समय नट का उपयोग नही किया जाता है, तब मशीन स्क्रू का प्रयोग किया जाता हैं तथा स्क्रू को कसने के लिए पार्ट्स में ही चूड़ीदार होल बना दिया जाता हैं।
- साधारणत: स्क्रू, माइल्ड स्टील के बनाये जाते हैं। परन्तु आवश्यकतानुसार यह कॉपर, ब्रास, स्टेनलेस स्टील, एलुमिनियम आदि के भी बनाये जाते हैं।
स्क्रू के प्रकार (Types of Screw)-
1.हैड स्क्रू (Head Screw)
2.सैट स्क्रू (Set Screw)
3.ग्रब स्क्रू (Grub Screw)
4.थम्ब स्क्रू (Thumb Screw)
5.सैल्फ टेपिंग स्क्रू (Self Tapping Screw)
6.हैमर ड्राइव स्क्रू (Hammer Drive Screw)
7.कॉलर स्क्रू (Collar Screw)
8.शोल्डर स्क्रू (Shoulder Screw)
1.हैड स्क्रू-
- इसमें बोल्ट के समान हेड बना होता हैं।
- जिस हेड स्क्रू में स्लॉट बना होता हैं, उसे स्क्रू ड्राइवर के द्वारा टाइट किया जाता हैं।
- जिस स्क्रू का हेड, वर्गाकार या हेक्सागोनल बना होता हैं उसे स्पैनर की सहायता से कसा जाता हैं।
इसे दो भागो में बाटा जा सकता हैं-
- भारी कार्यो में प्रयोग होने वाले हैड स्क्रू (Head Screw Used in Heavy Duty Assembly)
- हल्के कार्यो में प्रयोग होने वाले हैड स्क्रू (Head Screw Used in Light Duty Assembly)
a- भारी कार्यों में प्रयोग होने वाले हैड स्क्रू- यह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।
(a)हेक्सागोनल हैड स्क्रू-
- इस स्क्रू का प्रयोग तब किया जाता है जब स्क्रू का हेड पार्ट्स को जोड़ते समय बाहर रहने पर कोई बाधा न उत्पन्न करता हो।
- इसका हेड पार्ट्स को जोड़ने पर बाहर पार्ट्स के उपर दिखाई देता हैं।
(b)हेक्सागोनल सॉकेट हेड कैप स्क्रू-
- इसे ऐलन स्क्रू के नाम से भी जानते हैं।
- इस स्क्रू का हेड मशीन के बॉडी में छुप जाता हैं अर्थात हेड पार्ट्स के बाहर नही निकलता हैं।
- इसका प्रयोग अधिकतर स्लाइड करने वाले पार्ट्स में किया जाता है, जिससे उसका हेड पार्ट्स के अंदर ही रहे और उसके ऊपर स्लाइड करने वाले पार्ट्स के बिच बाधा न बने।
- इसे ‘ऐलन की’ की सहायता से कसते हैं।
- इस स्क्रू के व्यास का साइज़ 1.6 mm से 36 mm तक होता हैं।
(c)काउंटर संक हेड स्क्रू-
- इसका प्रयोग काउंटर सिंक छिद्र में किया जाता हैं।
- इसका हेड शंकु के आकार का होता हैं।
- इसका हेड भी पार्ट्स के अंदर ही छुप जाता हैं।
- इसको कसने के लिए पेंचकस की आवश्यकता पड़ती हैं।
(d)वर्गाकार हेड स्क्रू-
- इस स्क्रू का प्रयोग वहाँ किया जाता हैं जहाँ हमे पार्ट्स को बार-बार जोड़ना तथा अलग करना होता हैं।
- लेथ मशीन के टूल पोस्ट पर हमे टूल को लगाने या बदलने के लिए अक्सर टूल पोस्ट को खोलना तथा कसना पड़ता है इसलिए टूल पोस्ट में वर्गाकार हेड स्क्रू का प्रयोग किया जाता हैं।
b- हल्के कार्यों में प्रयोग होने वाले हेड स्क्रू- यह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।
(a)पेन हेड स्क्रू-
- इन स्क्रुओ पर जिंक या क्रोमियम की प्लेटिंग की जाती हैं।
- ये स्क्रू सामान्यतः 10 mm व्यास के साइज़ में उपलब्ध होते हैं।
(b)चीज हेड स्क्रू-
- यह भी पेन हेड स्क्रू के समान होता हैं।
- इसका प्रयोग करने के लिए पार्ट्स में काउंटर बोरिंग होना आश्यक हैं।
(c)रेज्ड चीज हेड स्क्रू-
- यह भी चीज हेड स्क्रू की भांति ही होता है, इसमें अंतर यह है कि इसका हेड थोड़ा सा उभार लिए होता हैं।
(d)राउंड हेड स्क्रू-
- इस स्क्रू का हेड अर्द्ध-गोलाकार (Half Round) आकृति में बना होता हैं।
2.सैट स्क्रू-
- सेट स्क्रू पार्ट्स को अपनी टेल से पकड़ता हैं जबकि हेड स्क्रू पार्ट्स को अपनी हेड से पकड़ता हैं।
- अधिकतर सेट स्क्रू में हेड नही होता और उनकी पूरी शैंक पर चूड़ियाँ कटी होती हैं तथा वह मशीन के बॉडी के अंदर ही चले जाते हैं।
3.ग्रब स्क्रू-
- इसे सेफ्टी स्क्रू के नाम से भी जाना जाता हैं।
- यह भी सेट स्क्रू के समान होता हैं, इसमें भी हेड नही होता।
- यह हल्के कार्यो के लिए प्रयोग किया जाता है, जैसे- बायलर आदि में।
4.थम्ब स्क्रू-
- इस स्क्रू का प्रयोग तब किया जाता है जब हमे पार्ट्स को बार-बार खोलने व जोड़ने की आवश्यकता होती हैं।
- इसे हाथ द्वारा कसा या खोला जा सकता हैं, इसलिए इसे थम्ब स्क्रू कहते हैं।
- वर्नियर कैलीपर, वर्नियर हाइट गेज आदि में थम्ब स्क्रू का ही प्रयोग किया जाता हैं।
5.सेल्फ टैपिंग स्क्रू-
- इन स्क्रुओं को कसने के लिए पहले से होल बनाकर उसमे थ्रेड काटने की आश्यकता नही रहती, ये स्क्रू स्वयं पार्ट्स में थ्रेड काटकर सेट हो जाते हैं, इसलिए इसे सेल्फ टैपिंग स्क्रू कहते हैं।
- इनके द्वारा बने जोड़ कम्पनरोधी होते हैं।
- इनका प्रयोग पतली शीटों को जोड़ने के लिए किया जाता हैं।
6.हैमर ड्राइव स्क्रू-
- इस स्क्रू का प्रयोग कास्ट आयरन की मशीन की बॉडी पर नेम प्लेट लगाने के लिए जाता हैं।
- इसमें स्क्रू को कसने के लिए पेंचकस से घुमाने की आवश्यकता नही होती, इन्हें हैमर के द्वारा ठोक कर सीधे सेट कर दिया जाता हैं इसलिए इसे हैमर ड्राइव स्क्रू कहते हैं।
7.कॉलर स्क्रू-
- इस स्क्रू को बनाते समय ही उसके हेड के साथ वाशर फोर्ज करके बना दिया जाता हैं।
- इस स्क्रू में अलग से वाशर लगाने की आवश्यकता नही रहती।
- इसकी पकड़ अधिक मजबूत होती है परन्तु महंगे होने के कारण कम प्रयोग किया जाता हैं।
8.शोल्डर स्क्रू-
- इस स्क्रू में तीन भाग होते हैं- (i)हेड (ii)शोल्डर (iii)थ्रेड
- शोल्डर वाला भाग बीच में होता है तथा प्लेन होता हैं।
- शोल्डर वाले भाग का व्यास, थ्रेड वाले भाग के व्यास से अधिक होता हैं।
- इस भाग पर कोई गियर या पिनियन घूम सकता हैं अर्थात इस भाग का प्रयोग में स्थायी शाफ़्ट के रूप में कर सकते हैं।
बहुत जल्द भाग 2 भी अपलोड किया जायेगा।
श्रेय- कुछ वाक्य अरिहंत प्रकाशन द्वारा प्रकाशित फिटर सिद्धांत पुस्तक से लिए गए हैं।
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Sir iska thoda sa figure k sath rahata to aur achhe se samjh pate waise bahut badhiya laga padhke
अभी वेबसाइट नई है भविष्य में फोटो अपलोड की जाएगी
Sir2nd year fitter theory ka class’s open hai
Bhut badiya lga padke kafi achhi taiyari ho rahi h thanks sir ji