जोड़ या बन्धक (Joint or Fasteners)
Fasteners बन्धक किसी भी मशीन में कई भाग होते है तथा प्रत्येक भाग में अनेक पार्टस लगे होते है जो एक दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। ये सभी मिलकर हमारे लिए कोई विशेष कार्य करते है। इनमें से कुछ पार्ट्स को हम हमेशा के लिए जोड़ सकते हैं, जबकि कुछ पार्ट्स को बार-बार खोलने की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए कई प्रकार के जोड़ बनाए जाते है।
Fasteners बंधक के प्रकार
1- अस्थायी जोड़
मशीनों में बहुत से भाग ऐसे होते हैं जिन्हें मरम्मत या सफाई के लिए बार-बार खोलना पड़ता है। ऐसे भागों को जोड़ने के लिए अस्थायी जोड़ Temporary Fasteners लगाए जाते हैं। अस्थायी जोड़ों के द्वारा खराब पार्टस को बदलने के लिए जोड़ लगाया जा सकता है। इसके लिए कुछ अन्य कोम्पोनेट्स जोड़ लगाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
बोल्ट (Bolt)
यह इंजीनियरिंग उद्योग में सबसे अधिक प्रयोग होने वाला अस्थायी बन्धक (temporary fasteners) है। इसमें बेलनाकार छड़ के एक सिरे पर चूड़ियाँ बनी होती हैं जिन पर एक नट कसा जा सकता है। दूसरे सिरे पर एक हैड फोर्ज किया जाता है जिसे नट को कसने के समय पकड़ा जा सकता है।
विभिन्न प्रकार के बोल्ट निम्न है-
(i) हेक्सागोनल हेड बोल्ट
(ii) हुक बोल्ट
(iii) T हैड बोल्ट
(iv) काउण्टर संक हैड बोल्ट
(v) चीज हैड बोल्ट
(vi) आई बोल्ट
(vii) स्क्वायर हैड बोल्ट
(viii) राउण्ड हैड बोल्ट
(ix) फिश टैल बोल्ट
(x) टेपर बोल्ट
(xi) फाउंडेशन बोल्ट।
स्क्रू (Screw)
अस्थायी जोड़ बनाने के लिए बोल्ट के स्थान पर स्क्रू का भी प्रयोग किया जा सकता है। देखने में यह बोल्ट के समान ही होता है। अन्तर मात्र यह है कि बोल्ट में पूरे शैंक पर चूड़ी नहीं होती जबकि स्क्रू में पूरे शैंक पर चूड़ियाँ होती है। स्क्रू के निम्न प्रकार है
(i) कैप स्क्रू
(ii) कॉलर स्क्रू
(iii) शोल्डर स्क्रू
(iv) सेट स्क्रू
नट (Nut)
बोल्ट स्क्रू या स्टड द्वारा मशीन के किन्हीं दो भागों को जोड़ने के लिए नट की आवश्यकता पड़ती है। यह धातु का एक विशेष आकृति में बना हुआ टुकड़ा होता है, जिसके बीच में छेद में चूड़ियाँ कटी होती है। नट निम्न प्रकार है
(i) हेक्सागोनल नट
(ii) स्क्वायर नट
(iii) कॉलर या फ्लैंज नट
(iv) कफ नट
(v) कैप नट
(vi) कैपस्टन नट
(vii) रिंग नट
(viii) नर्ल्ड नट
(ix) फ्लाई नट
(x) लॉक नट
वाशर (Washer) नट बोल्ट स्कू तथा स्टड आदि को जहाँ कही भी प्रयोग किया जाता है. वहाँ पर वाशर का प्रयोग अवश्यकिया जाता है जिससे कि कम्पन आदि से नट ढीला न होने पाए।
पिन (Pin) पिन का प्रयोग शाफ्ट के साथ स्प्राकेट, गियर या पुली आदि को फिट करने के लिए किया जाता है। ऐसे स्थानों पर पिन का प्रयोगकिया जाता है। जहाँ कम पावर ट्रांसफर करनी हो।
2- अर्द्ध-स्थायी जोड़ (Semi-permanent Joints)
3-स्थायी जोड़ (Permanent Joints)
ग्लोबल आईटीआई कोचिंग के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।
विडियो क्लासेज के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।